इस सूरज के चले जाने से
जाने क्यों लोग घबराते है
जब ये नन्ही बूँदें बरसती है
सड़के खाली क्यों हो जाती है ?
क्यों लोग अक्सर
छाओ में पनाह ढूंढा करते है
क्यों ना खुले आसमा को
अपना खुदा ना समझते है
खुदा ना सही
इश्क़ ही सही
कभी इन बूंदो को गले लगा कर तो देखे
इनकी ठंडक में खुद को भूल जाने का मज़ा ही कुछ और है
एक बार हस कर पास आके तो देखे
इनकी खुशबू में भीग जाने का नशा ही कुछ और है
पर शायद ये सब
इनमे बह जाने से डरा करते है
या डर है उन्हें इस बात का
कि कही डूब ना जाए
Words of a pluviophile roaming in the beautiful streets of McleodGanj.