The first time my little ears heard the name that sounded similar to ‘Palampur’ was when I watched ‘Raja Hindustani’ in 1996. Remember Aarti’s hometown and Raja’s home with misty air, a copse of trees, vast green meadows? Who won’t fall in love in the lap of such a paradisiacal abode? They called it Palankhet …
कही डूब ना जाए
इस सूरज के चले जाने से जाने क्यों लोग घबराते है जब ये नन्ही बूँदें बरसती है सड़के खाली क्यों हो जाती है ? क्यों लोग अक्सर छाओ में पनाह ढूंढा करते है क्यों ना खुले आसमा को अपना खुदा ना समझते है खुदा ना सही इश्क़ ही सही कभी इन बूंदो को गले लगा …